पूजा में अलग-अलग बाती और तेल के दीपक जलाने का महत्व।
मनोकामना पूर्ति के लिए, किस देवता के आगे कितनी बत्ती का दीपक जलाना चाहिए।
दीपक की बत्तियों की संख्या आप जिस कार्य या देवता की पूजा कर रहे हैं, उसके अनुसार बदलती है, जैसे लक्ष्मी जी के लिए 7 बत्ती, शिवजी के लिए 8 या 12 बत्ती, और हनुमान जी के लिए 5 या 4मुखी दीपक। सामान्य पूजा के लिए 1 बत्ती वाला दीपक, शत्रु बाधा के लिए 3 बत्ती, और नौकरी के लिए 4 बत्ती का दीपक जलाया जाता है।
माता लक्ष्मी,7 बत्ती वाला दीपक जलाएं।
भगवान शिव,8 या 12 बत्ती वाला दीपक जलाना शुभ होता है।
भगवान विष्णु ,16 बत्तियों वाला दीपक जलाना चाहिए।
हनुमान जी, 5 बत्तियों वाला या चौमुखी दीपक जलाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और शत्रुओं से रक्षा होती है।
कार्तिकेय जी, इनकी प्रसन्नता के लिए 5 मुखी (5 बत्तियों वाला) दीपक जलाना चाहिए।
अन्य महत्वपूर्ण बातें:---
सामान्य पूजा:---किसी भी सामान्य पूजा के लिए 1 बत्ती का दीपक जलाया जाता है।
शत्रु बाधा व विरोधियों की शांति:---शत्रुओं पर विजय पाने के लिए 3 बत्ती वाला दीपक जलाएं।
नौकरी, रोज़गार व करियर:--- करियर में तरक्की के लिए 4 बत्ती का दीपक जलाएं।
लक्ष्मी प्राप्ति:---आर्थिक लाभ के लिए नियमपूर्वक घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
अखंड ज्योति:---किसी विशेष साधना में अखंड ज्योति जलाने का विधान होता है, जो आश्रमों और देव स्थानों के लिए विशेष रूप से की जाती है।
दीपक के प्रकार:--
दीपक मिट्टी, आटे, तांबा, चांदी या पीतल का हो सकता है। मूंग, चावल, गेहूं, उड़द व ज्वार को समान भाग में मिलाकर बने आटे का दीपक सभी प्रकार की साधनाओं में श्रेष्ठ माना जाता है।
शास्त्रों मे हर देवता के लिए भिन्न -भिन्न दीपक जलाने का विधान है।
जब हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो, सामान्यतः दीपक जलाते हैं। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं। जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो, दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है।
दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है।उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं।
1.हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो, नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
2. हमें शत्रुओं से पीड़ा हो तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी के सामने जलाना चाहिये।
3.भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए ।
4.शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
5. पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
6.राहु तथा केतु ग्रह के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
7. किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।
8.भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।
9. भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।
10.भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए।
11.मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।
12.भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।
13.भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
14. भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।
15. लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।
16 भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।
17. इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
18. शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
19. लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।
20.हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
पूजा में विभिन्न धातुओं एवं विभिन्न प्रकार के आटे के दीपक प्रयोग में ले जाते हैं।
दीपक कई प्रकार के हो सकते हैं। जैसे मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल अथवा स्वर्ण धातु का। मूंग, चावल, गेहूं, उड़द तथा ज्वार को समान भाग में लेकर उसके आटे से बना दीपक सभी प्रकार की साधनाओं में श्रेष्ठ होता है। किसी-किसी साधना में अखंड ज्योति जलाने का भी विशेष विधान है जिसे गाय के शुद्ध घी और तिल के तेल के साथ भी जलाया जा सकता है। यह प्रयोग विशेषत: आश्रमों और देव स्थानों के लिए करना चाहिए।
गोल बत्ती या लंबी बत्ती जलाने का क्या मतलब है?
गोल बत्ती (फूल बत्ती) का उपयोग भगवानों (जैसे ब्रह्मा, विष्णु, शिव) और तुलसी के पौधे के समक्ष किया जाता है, जो स्थिरता का प्रतीक है, जबकि लंबी बत्ती का उपयोग देवी (जैसे लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती) और पितरों के समक्ष किया जाता है, जो वंश और धन वृद्धि का प्रतीक है. यह भी ध्यान रखें कि वट वृक्ष और कुल देवता के समक्ष लंबी बत्ती का दीपक जलाना शुभ होता है।
लंबी बत्ती जलाने से क्या होता है?
शिवपुराण के अनुसार, लंबी बाती जलाने का मतलब होता है कि, धन में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो और धन-धान्य, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती और लगातार कुल की वृद्धि हो, लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती को छोड़कर, कभी भी भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा जी या फिर अन्य देवता के समक्ष लम्बी बाती ना जलाएं।
दीपक की बाती का पूरा जल जाने का क्या मतलब होता है?
दीपक की बाती का पूरा जल जाने का ... मतलब
दीपक की बत्ती (बाती) रुई से बनी होती है, जो दीपक को जलाने के लिए इस्तेमाल की जाती है, और इसे घी या तेल में डुबोकर जलाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाती का पूरी तरह जल जाना शुभ होता है, जबकि घी के दीपक के लिए सफेद रुई और तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बाती का उपयोग करना श्रेष्ठ होता है. बची हुई बाती को कूड़े में फेंकने के बजाय कपूर और लौंग के साथ जलाकर या नदी में प्रवाहित करके उसका सम्मान करना चाहिए।
पूजा सफल होने के क्या संकेत हैं?
पूजा के सफल होने के संकेतों में शामिल हैं पूजा के बाद मन की शांति और सकारात्मकता महसूस होना, बिना किसी बाधा के पूजा का पूरा होना, दीपक की लौ का तेजी से जलना या उसमें आकृतियाँ दिखना, आँखों से खुशी के आँसू आना, घर में सुगंध का फैलना, या फिर बाहर नीलकंठ पक्षी जैसे शुभ पशुओं का दिखना
भाग्य खुलने के क्या संकेत हैं?
भाग्य खुलने के कुछ संकेतों में घर के पास गाय, कोयल या मोर का दिखना, मंदिर की घंटी की आवाज़ सुनाई देना, सपने में देवी-देवता या सफेद उल्लू दिखना, घर में काली चीटियों का आना और नेवले का दिखाई देना शामिल है। ये सभी संकेत ज्योतिष और शकुन शास्त्र में शुभ माने जाते हैं, जो अच्छे दिनों या आर्थिक समृद्धि के आगमन का संकेत देते हैं।
अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो, नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
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अनिल सुधांशु
ज्योतिषाचार्य
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