7 सितंबर 2025 रविवार को पड़ेगा चंद्र ग्रहण
7 सितंबर 2025 रविवार कि, भाद्रपद पूर्णिमा को लग रहा है--चन्द्रग्रहण
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इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा रविवार दिनांक 07/09/2025 की रात्रि में खग्रास चन्द्र ग्रहण लग रहा है। पूर्णिमा रात्रि 11:48 तक है।
यह खग्रासचन्द्र ग्रहण पूरे भारत में दृश्य है, इसलिए, सूतक मान्य है। रात्रि 09:57 से रात्रि 01:26 तक चन्द्र ग्रहण रहेगा।स्पर्श रात्रि 09:57 में हो रहा है,मध्य 11:42 रात्रि में है तथा चन्द्र ग्रहण का मोक्ष यानि समापन रात्रि 01:26 में है।चन्द्र ग्रहण के 09 घण्टे पूर्व सूतक लग जाता है। सूतक अपराह्न 12:57 से लग जाएगा।
मिथुन,कर्क,सिंह, तुला,वृश्चिक, मकर, कुम्भ और मीन राशि के लोग इस चन्द्र ग्रहण को नहीं देखें। केवल मेष,वृष, कन्या और धनु राशि वाले इस चन्द्रग्रहण को देख सकते हैं।
गर्भवती महिलाएं सावधानी बरतेंगी।ग्रहण का दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़े,इसका ख्याल तो रखना ही होगा। इसके लिए गर्भवती माताएँ अपने सिर से पैर तक काला धागा नाप कर सीधा किसी कांटी/ खूँटी से लटका देंगी या फिर अपने नाभि पर गोमय/गोबर का लेपन कर लेंगी। कुशा या तुलसी भी अपने कमर में बाँध सकती हैं।जो उपलब्ध हो जाए,उपचार जरूर करें।
कुण्डली में जिनका चन्द्रमा दूषित है या चन्द्र ग्रहण लगा है,चन्द्र राहु की युति है।चन्द्र ग्रहण निवारण व शान्ति के लिए आप यह उपाय जरूर करें। चन्द्र ग्रहण के मध्य काल यानि रात्रि 11:42 में निम्नलिखित चीजों को सफेद कपड़ा में पोटली बनाकर अपने सिर से पैर तक सात बार "ॐ चन्द्राय नमः" बोलते हुए उतार कर नदी में प्रवाहित कर दें। सामग्री इस प्रकार है:-- दही -250 g, चीनी- 250 g, एक छोटा शंख,चाँदी का छोटा टुकड़ा या चाँदी का चन्द्रमा,सफेद अरवा चावल- 250 g, सफेद कपड़ा आधा मीटर।
उक्त सफेद कपड़ा में उपर्युक्त सामग्रियों को बाँधकर पोटली बना लें। मंत्र बोलते हुए उस पोटली को अपने सिर से पैर तक सात बार उतार कर नदी में प्रवाहित कर दें। बहुत ही राहत मिलेगी।
पुत्रवान यानि जिनकी पुत्र संतानें हैं, वे रविवार, संक्रांति,सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण को उपवास और पारण नहीं करें।
शास्त्र का प्रमाण है:---
आदित्येऽहनि संक्रांति ग्रहणे सूर्यचन्द्रयोः।
पारण चोपवासं न कुर्यात् पुत्रवान् गृही।।
यहाँ जिनकी पुत्र संतानें हैं, उनके लिए उपवासादि मना है। लेकिन, जिनकी पुत्र संतानें नहीं हैं, वे पुत्र संतान की प्राप्ति के लिए विधिवत् भगवती दुर्गा की अर्चन/पूजन उपवास पूर्वक सूर्य, चन्द्र ग्रहण में करें।उनको भगवती दुर्गा की कृपा से पुत्र की प्राप्ति होती है।
यथा प्रमाण है:--
योऽर्चयेद्विधिवद् दुर्गा ग्रहणे सूर्यचन्द्रयोः।
कृत्वोपवासं विधिवत्स भवेत्पुत्रवान् नरः।।
ग्रहण काल में भगवन् नाम संकीर्तन व जप करें। श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। सुन्दर काण्ड का पाठ करें। अपने गुरु द्वारा प्रदत्त गुरु मंत्र का जप करें। ग्रहण काल मंत्र साधना व सिद्धि के लिए सर्वोत्तम समय है।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।।
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--- अनिल सुधांशु
ज्योतिषाचार्य
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