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कौन से देवी या देवता की मूर्ति घर के अंदर नहीं रखनी चाहिए।

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किस देवी या देवता की मूर्ति घर में नहीं रखना चाहिए अन्यथा जीवन में परेशानियों का अंत नहीं होगा।  घर में काली माता, शनि देव, राहु-केतु, भगवान शिव (विनाशकारी रूप या शिवलिंग) और हनुमान जी की दक्षिणमुखी या क्रोधित मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। ये देवता उग्र माने जाते हैं, और उनकी पूजा विधि कठिन होती है। इसके अलावा, घर के मंदिर में मृत परिजनों की तस्वीरें या मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए।  #किन देवताओं की मूर्ति घर में नहीं रखनी चाहिए:--- #उग्र देवताओं की मूर्तियाँ:---काली माता, शनि देव, राहु-केतु, और भैरव जैसे उग्र देवताओं की मूर्तियाँ घर में नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इनकी पूजा का तरीका कठिन होता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है।  #दक्षिणमुखी हनुमान और गणेश जी:---हनुमान जी और गणेश जी की दक्षिणमुखी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की मानी जाती है। हनुमान जी की क्रोधित मुद्रा वाली मूर्ति से तनाव बढ़ सकता है।  #शिवलिंग:---बहुत बड़ा शिवलिंग, बहुत सारे शिवलिंग और नदी के बिना शिवलिंग घर के मंदिर में नहीं रखना चाहिए।  #मृत परिजनों की तस्वीरें:---घर के मंदिर में...

अपने घर में तांबे का सूर्य लगाएं और तरक्की उन्नति पाएं।

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घर में तांबे का सूर्य लगाने से ग्रह दोष शांत होता है, तरक्की उन्नति के नए रास्ते खुलते हैं, सभी प्रकार के अनिष्ट समाप्त होकर सौभाग्य का उदय होता है। -इसे आप घर के दरवाजे या खिड़की पर लगा सकते हैं और अगर संभव न हो, तो दिवार पर लगा सकते हैं। -पूजा घर में ईशान कोण वाली दिवार पर तांबे का सूरज लगाना लाभकारी माना जाता है। -लिविंग रूम में तांबे का सूर्य लगाने से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। -नौकरी-कारोबार में तरक्की के लिए आप ऑफिस के पूर्व दिशा वाली दिवार पर तांबे का सूर्य लगा सकते हैं। - वास्तु के मुताबिक, घर के बेडरूम में तांबे का सूरज नहीं लगाना चाहिए। - तांबे के सूर्य की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। इससे घर में पॉजिटिविटी बरकरार रहेगी। तांबे का सूरज लगाने के लाभ। - वास्तु के अनुसार, ऑफिस में तांबे का सूर्य लगाने से कार्य-व्यापार में अपार सफलता मिलती है और सूर्यदेव को कृपा बनी रहती है, जिससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। - तांबे का सूर्य घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे घर में खुशनुमा माहौल बना रहता है और गृह-क्लेश से छुटकारा मिलता है। -मान्यता है कि, तांबे का सूर्...

23 अगस्त 2025 शनिवार/शनि अमावस्या का विशेष आलेख।

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23 अगस्त 2025 शनिवार  शनि अमावस्या पर प्राप्त करें, शनिदेव और पितरों का आशीर्वाद, इस विशेष पूजा से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। हिंदू धर्म में शनिदेव को कर्मफल दाता, न्यायकर्ता और धर्म रक्षक के रूप में जाना जाता है, शनि जयंती वह दिव्य तिथि है, जब भगवान सूर्य और छाया (संवरना) के पुत्र शनिदेव धरती पर अवतरित हुए थे।  ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाने वाली शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और भक्त इस दिन अपने पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए शनिदेव की पूजा करते हैं। यह दिन उन भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो जीवन में परेशानियों, बीमारियों, आर्थिक संकटों या ग्रह दोषों से जूझ रहे हैं। सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, हर महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है, बल्कि पितरों की शांति, दान-पुण्य और आत्मशुद्धि का भी यह उत्तम अवसर मानी जाती है। ऐसी ही एक विशिष्ट अमावस्या है, जो इस बार शनिवार को पड़ रही है इसलिए इसे शनिचरी या शनि अमावस्या कहा जा रहा है,  इस दिन गंगा ...

किस देवता की पूजा में किस आटे और किस तेल का दीपक जलाएं।

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किस देवता के लिए कौन से आटे या तेल का दीपक जलाना चाहिए....! शास्त्रों मे हर देवता के लिए भिन्न -भिन्न दीपक जलाने का विधान है,जब हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो, सामान्यतः दीपक जलाते हैं। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं।  जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो, दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है, उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं।  #हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। #हमें शत्रुओं से पीड़ा हो तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी के सामने जलाना चाहिये। #भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए । #शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। #पति की दीर्घा...

आटे के दीपक जलाने के चमत्कारी फायदे।

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विशेष कामना पूर्ति के लिए जलाएं आटे के दीपक। हमने अक्सर मंदिरों में आटे के दीये जलते हुए देखे हैं, लेकिन हम नहीं जानते कि, ऐसा क्यों किया जाता है, और ऐसा करने से क्या लाभ होता है ?  1. वास्तव में आटे के दीपक का प्रयोग किसी बहुत बड़ी कामना की पूर्ति के लिए किया जाता है।  2. अक्सर मन्नत के दिए आटे के बने होते हैं।  3. अन्य दीपक की तुलना में आटे के दीप को शुभ और पवित्र माना गया है। मां अन्नपूर्णा का आशीष इस दीप को स्वत: ही मिल जाता है।  4. मां दुर्गा, भगवान हनुमान, श्री गणेश, भोलेनाथ शंकर, भगवान विष्णु, भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम और श्री कृष्ण सभी के मंदिरों में आटे का दीप कामना पूर्ति के लिए जलाया जाता है।  5. मुख्य रूप से तांत्रिक क्रियाओं में आटे का दीप जलाते हैं।  6. कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी में विजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट के निवारण हेतु आटे के दीप संकल्प के अनुसार जलाए जाते हैं।  7. ये दीप घटती और बढ़ती संख्या में लगाए जाते हैं। एक दीप से...

किस देवता की आरती कितनी बार करनी चाहिए।

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किस भगवान और देवता कि, हमें कितनी बार आरती करनी चाहिए। आरती का अर्थ है, पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है, विशेष रूप से प्रकाशित करना। यानी कि, देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है।    स्कंद पुराण में भगवान की आरती के संबंध में कहा गया है कि, यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता हो,पूजा की विधि भी नहीं जानता हो। लेकिन भगवान की आरती की जा रही हो और उस पूूजन कार्य में श्रद्धा के साथ शामिल होकर आरती करें,तो भगवान उसकी पूजा को पूरी तरह से स्वीकार कर लेते हैं।   1.आरती दीपक से क्यों-  रुई के साथ घी की बाती जलाई जाती है। घी समृद्धि प्रदाता है। घी रुखापन दूर कर स्निग्धता प्रदान करता है। भगवान को अर्पित किए गए घी के दीपक का मतलब है कि, जितनी स्निग्धता इस घी में है। उतनी ही स्निग्धता से हमारे जीवन के सभी अच्छे कार्य बनते चले जाएं। कभी किसी प्रकार की रुकावटों का सामना न करना पड़े। ...

भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर विशेष आलेख।

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हे मनमोहन !  हे गोपाल ! हे गिरधर !  हे कृष्ण निश्चित रूप से आपका यह रूप बड़ा ही मनमोहक है, तुम्हारे जैसा तीनों लोकों में कोई नहीं है, इतना सुंदर और दिव्य रूप जिसे देखकर कामदेव भी शरमा जाए। जो भी एक बार आपको देख लेता है,वह हमेशा हमेशा को तन मन से तुम्हारा होकर रह जाता है, वह फिर किसी और को देखना नहीं चाहता, जो तुम्हें चाहता है, वह फिर किसी और को नहीं चाहता।  जो तुम्हें एक बार सुन लेता है, वह फिर किसी और को सुनना नहीं चाहता, तुम उसके हृदय में इस तरह बस जाते हो कि, चाहकर भी तुम फिर उसके हृदय से निकल नहीं पाते। तुमने बंशी भी बजाई, तुमने सुदर्शन चक्र भी उठाया, तुमने रास भी रचाया, तुमने गीता जैसा अद्भुत ज्ञान भी दिया, जिसको जानने के बाद फिर जीवन में कुछ जानने के लिए शेष नहीं रह जाता। जो तुमसे जिस रूप में मिला, तुमने उसी रूप में उसको दर्शन दिए, जो तुमसे दुश्मन बनाकर मिला, तुम दुश्मन बन कर मिले, जो तुमसे मित्र बन कर मिला, तो मित्र बनकर मिले, जो तुमसे भक्त बनकर मिला, तुम मुझे भक्त बनकर मिले। दुर्योधन का मोहन भोग ठुकराकर सुदामा के जरा से सांग से खुश हो गए, मीरा के जहर का प्याला तुम...