किस देवता की पूजा में किस आटे और किस तेल का दीपक जलाएं।

किस देवता के लिए कौन से आटे या तेल का दीपक जलाना चाहिए....!

शास्त्रों मे हर देवता के लिए भिन्न -भिन्न दीपक जलाने का विधान है,जब हम किसी देवता का पूजन करते हैं तो, सामान्यतः दीपक जलाते हैं। दीपक किसी भी पूजा का महत्त्वपूर्ण अंग है । हमारे मस्तिष्क में सामान्यतया घी अथवा तेल का दीपक जलाने की बात आती है और हम जलाते हैं।

 जब हम धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की साधना अथवा सिद्धि के मार्ग पर चलते हैं तो, दीपक का महत्व विशिष्ट हो जाता है। दीपक कैसा हो, उसमे कितनी बत्तियां हों , इसका भी एक विशेष महत्त्व है, उसमें जलने वाला तेल व घी किस-किस प्रकार का हो, इसका भी विशेष महत्त्व है। उस देवता की कृपा प्राप्त करने और अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये सभी बातें महत्वपूर्ण हैं। 

#हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
#हमें शत्रुओं से पीड़ा हो तो सरसों के तेल का दीपक भैरव जी के सामने जलाना चाहिये।
#भगवान सूर्य की प्रसन्नता के लिए घी का दीपक जलाना चाहिए ।
#शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
#पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
#राहु तथा केतु ग्रह के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
#किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।
#भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।
#भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।
#भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए।
#मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।
#भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।
#भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
#भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।
 #लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।
#भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।
#इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
#शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।
#लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।
#हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

#दीपक अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग आटे के होते हैं।

दीपक कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे मिट्टी, आटा, तांबा, चांदी, लोहा, पीतल अथवा स्वर्ण धातु का। मूंग, चावल, गेहूं, उड़द तथा ज्वार को समान भाग में लेकर उसके आटे से बना दीपक सभी प्रकार की साधनाओं में श्रेष्ठ होता है। किसी-किसी साधना में अखंड ज्योति जलाने का भी विशेष विधान है, जिसे गाय के शुद्ध घी और तिल के तेल के साथ भी जलाया जा सकता है। यह प्रयोग विशेषत: आश्रमों और देव स्थानों के लिए करना चाहिए।

#पंचमुखी दीपक का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है।

 पंचमुखी दीपक पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) और पांच दिशाओं का प्रतीक माना जाता है, और इसे जलाने से घर में सुख-समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. विशेष रूप से, हनुमान जी की पूजा में पंचमुखी दीपक जलाने का विशेष महत्व है, जिससे हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
सुख-समृद्धि:---पंचमुखी दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती है. 
सकारात्मक ऊर्जा:---यह दीपक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. 
वास्तु दोष निवारण:---पंचमुखी दीपक घर के वास्तु दोषों को दूर करने में भी सहायक माना जाता है. 
हनुमान जी की कृपा:---हनुमान जी की पूजा में पंचमुखी दीपक जलाने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 
अन्य लाभ:---इसके अलावा, पंचमुखी दीपक को मुकदमे में जीत, भय से मुक्ति, और आध्यात्मिक विकास के लिए भी जलाया जाता है।

पंचमुखी दीपक को आमतौर पर गाय के शुद्ध घी में जलाया जाता है और इसे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर या हनुमान जी के समक्ष रखा जाता है।
पंचमुखी दीपक के महत्व को देखते हुए, इसे अपने घर में जलाना एक शुभ और फलदायी प्रथा है। 
अगर हमें आर्थिक लाभ प्राप्त करना हो तो, नियम पूर्वक अपने घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

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अनिल सुधांशु 
ज्योतिषाचार्य

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