27 Mai 2025 Shani jayanti

27 मई 2025 शनि जयंती।

ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है,इस साल शनि जयंती 27 मई मंगलवार की है, शनि न्याय के देवता है, और बिना किसी सोच संकोच के गलत काम करने वाले को कठोर से कठोर दंड देते हैं और अच्छे काम करने वाले को पुरस्कार देते हैं।

सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म ज्येष्ठ अमावस्या को हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है, इस साल की शनि जयंती 27 मई दिन मंगलवार को है, भगवान शिव की कठोर तपस्या करके शनि देव को नक्षत्र मंडल में स्थान मिला, वे महत्वपूर्ण ग्रह बने और शिव कृपा से न्याय के देवता कहलाए।

 हर व्यक्ति के जीवन में शनि का प्रभाव पड़ता है, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से कोई बच नहीं सकता, इस समय में शनि देव उस व्यक्ति को उसके किए गए कर्मों का फल देते हैं, जो गलत करता है, उसे दंडित करके सुधारते हैं और जो अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें आशीर्वाद देते हैं. शनि देव की वक्र दृष्टि से बचने के लिए 8 काम नहीं करने चाहिए।

शनि की वक्र दृष्टि से बचने के ​लिए क्या न करें।

शनि देव का जन्म हुआ तो उनके रंग और रूप को देखकर उनके पिता सूर्य देव पत्नी छाया के चरित्र पर संदेह करने लगे जब मां के इस अपमान का पता शनि देव को चला तो, उन्होंने अपने पिता को दंडित किया, तब से पिता और पुत्र में नहीं बनती है, शनि देव दुष्टों को हमेशा दंड देते हैं, शनि जयंती के दिन ऐसे लोगों को संभलकर रहना चाहिए।

1. जो लोग अपनी माता, पत्नी, बहन या अन्य महिला का अपमान करते हैं, उनका अनादर करते हैं, ऐसे लोगों को शनि की कुदृष्टि से कोई नहीं बचा सकता, शनि देव ने जब अपने पिता को दंडित करने से नहीं छोड़ा तो, फिर वे किसे छोड़ेंगे।

2. गरीब, लाचार और असहाय लोगों को प्रताड़ित करने वाले व्यक्ति पर भी शनि देव खुश नहीं होते हैं, जब उस व्यक्ति के जीवन में शनि की दशा आती है, तो फिर उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है, शनि की मार उस पर पड़ती है।

3. जो व्यक्ति अपने घर में बड़े-बुजुर्गों को मारता है, उनके साथ बुरा बर्ताव करता है, उनका तिरस्कार करता है, अनेकों प्रकार के कष्ट देता है, उसे भी शनि देव के दंड से बचाना नामुमकिन है।

4. यदि कोई रोगी है और शरीर से लाचार है, उसकी सेवा नहीं हो रही है, आप सामर्थ्यवान होने के बाद भी उसे कोई मदद नहीं करते हैं तो यह गलत है, ऐसा न करें, आप से जो बन पड़े, उसके लिए करें।

5. जो लोग शराब, जुआ, चोरी, हत्या या अन्य तामसिक प्रवृत्ति में फंसे हुए हैं, उनको भी शनि देव का प्रकोप सहन करना पड़ता है, उनको भी अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं।

6. जो व्यक्ति किसी के प्रति द्वेष और ईर्ष्या की भावना रखता है, उससे घृणा करता है, कर्म और वचन से दूसरों को कष्ट देता है,दूसरों के साथ अन्याय करता है, उसके हक को मारता है, ऐसे लोगों पर भी शनि देव नाराज रहते हैं, साढ़ेसाती और ढैय्या के समय उनको किए गए कर्मों का फल भोगना पड़ता है।

7. शनि एक न्याय प्रिय ग्रह हैं, पशु, पक्षियों या अन्य जीवों को कष्ट देने वाला व्यक्ति भी शनि से दंडित होता है।

8. जो व्यक्ति व्यभिचारी है, महिलाओं के प्रति गलत सोच रखता है, उनका शोषण करता है, ऐसे लोगों का अपराध शनि की दृष्टि में अक्षम्य है।

अशुभ की निशानी :---

* शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है या मकान बिक जाता है।
* घर में लड़ाई-झगड़े के कारण परिवार में फूट पड़ जाती है।
* अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं।
* घर में अचानक आग लग सकती है।
* धन-संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है।
* समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी।
* दिमाग में द्वंद्व रहता है।
* व्यक्ति अति चालाक हो जाता है।

शनि की बीमारी :---

* शनि का संबंध मुख्‍य रूप से दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी से होता है।
* समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भवों के बाल झड़ जाते हैं।
* कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है।
* समय पूर्व ही सिर के बाल झड़ जाते हैं।
* फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं और तब सांस लेने में तकलीफ होती है।
* हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, तब जोड़ों का दर्द भी पैदा हो जाता है।
* रक्त की कमी और रक्त में बदबू बढ़ जाती है।
* पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना।
* सिर की नसों में तनाव।
* अनावश्यक चिंता और घबराहट बढ़ जाती है।

शनि को अच्छा बनाने के तरीके :---

* घर का वायव्य कोण का सुधार करें।
* सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें।
* शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
* तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।
* कुत्ते और कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
* चींटियों को प्रतिदिन खाना खिलाएं।
* छायादान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
* दांत और आंत सदा साफ रखें।
* अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें। उनकी सहायता करते रहें।
* धर्म, साधु-संत और मंदिर की दान-सेवा करें।
* शनि के मंदे कार्य न करें।
* प्रत्येक शनिवार के दिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके 3 परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं।
* शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
* मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

सावधानी : कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें,अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें।

शुभ की निशानी :---

शनि की स्थिति यदि शुभ है तो, व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति और उन्नति करता रहता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं।
ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में उसका मान-सम्मान खूब रहता हैं। धन की किसी भी प्रकार से कभी नहीं रहती और व्यक्ति हर तरह की घटना-दुर्घटना से बचा रहता है।

शनि देव से माफी कैसे मांगें?

शनि देव से माफी मांगने के लिए, आपको सच्चे मन से अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए। आप अपने पश्चाताप को व्यक्त करते हुए, विनम्र और ईमानदार शब्दों में प्रार्थना कर सकते हैं। साथ ही, शनि देव के मंत्रों का जाप करना और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करना भी लाभकारी हो सकता है।

माफी मांगने के लिए:----

1. सच्चे मन से क्षमा याचना:--
अपने कर्मों के लिए पश्चाताप करें और शनि देव से सच्चे मन से क्षमा मांगें। विनम्र और ईमानदार शब्दों में प्रार्थना करें!
2. शनि देव के मंत्रों का जाप:--
"ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें!
3. शनि देव की पूजा:---
शनिवार को शनि देव की पूजा करें और उन्हें सरसों का तेल अर्पित करें!
4. दान:---
यदि संभव हो तो किसी गरीब को सरसों का तेल,काले तिल, काला कपड़ा, नीलम उड़द आदि दान करें!
5. शुभ कर्म:---
अपने जीवन में अच्छे कर्म करें और शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें, शनि चालीसा शनि कवच शनि स्त्रोत शनि मंत्रों का नियमित रूप से पाठ करें।

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अनिल सुधांशु 
ज्योतिषाचार्य

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